ग्वालियर। 13 साल में राज्य बीमारी सहायता से जिले के 598 रोगियों को इलाज मिला है। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद इस योजना को बंद कर दिया गया है। अब आवेदन करने वालों का इलाज आयुष्मान भारत योजना में ही होगा। स्वास्थ्य विभाग ने अब आवेदन लेना बंद कर दिया है, जो 42 आवेदन आए हैं, वह भी अभी पेंडिंग में पड़े हैं।
दिलचस्प बात ये है कि आयुष्मान भारत योजना में सिर्फ बीपीएल और संबल कार्डधारक ही शामिल हैं, जबकि राज्य बीमारी सहायता निधि में 8 श्रेणियों को लाभ मिलता था। ऐसे में अब जिन लोगों के बीपीएल कार्ड नहीं होंगे, उनके लिए इलाज कराना मुश्किल होगा। राज्य बीमारी सहायता के तहत रोगियों को 25 हजार
भोपाल. आयुष्मान भारत योजना के हितग्राही मरीज को दूसरे राज्य में आसानी से इलाज मिल सकेगा। इसके लिए हितग्राही को अपना कार्ड दिखाना होगा। इस योजना के सॉफ्टवेयर को हर उस राज्य के सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है। जहां पर यह योजना लागू हो रही है।
अस्पताल में दिखाना होग
भोपाल। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में बने नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई (एसएनसीयू) में बच्चों का दबाव कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई योजना बनाई है। अब ऐसे बच्चों के लिए एक नई यूनिट बनााई जाएगी जिन्हें इलाज की जरूरत नहीं है, पर डॉक्टरों की निगरानी में रè
सीधी। जिले में कुपोषण के गंभीर परिणाम सामने आने लगे हैं। नई पीढ़ी कुपोषण के साथ बौनी होती जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज एक लाख 37 हजार 437 में से करीब 23 हजार 246 बच्चों की औसत उंचाई कम मिली है। लगभग इतने ही बच्चे कुपोषण की चपेट में है। खास बात ये कि कम उंचाई वाल
भोपाल। गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र तक लाने और घर वापस छोड़ने के लिए सरकार ने निशुल्क परिवहन व्यवस्था शुरू कर दी है। जननी एक्सप्रेस और 108 एंबुलेंस एकीकृत परिवहन प्रणाली का हिस्सा रहेंगे। जिसका फायदा उन बच्चों को मिलेगा, जो ड्रॉप बैक हो गए हैं
मध्य प्रदेश प्रत्येक जिले में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई संचालित करने वाला देश का पहला राज्य है. प्रदेश में 54 नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयां क्रियाशील हैं. इनमें से 49 जिला चिकित्सालयों और 5 चिकित्सा महाविद्यालयों में संचालित हैं.
मध्य प्रदेश की चिकित्सा
मध्य प्रदेश में इस साल एक जुलाई से लेकर अब तक स्वाइन फ्लू से 44 लोगों की मौत हुई है. स्वाइन फ्लू का प्रकोप सबसे ज्यादा प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इंदौर एवं सागर जिले में है. इसके अलावा, यह प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी फैला हुआ है.
स्वास्थ्य संचालक डॉ. के एल साहू ने बताय