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नई दिल्ली। सरकार आम आदमी को आधार नंबर के जरिए पूरी तरह से रिकॉर्ड पर लेने की दिशा में काम कर रही है। अब दवा खरीदने के लिए भी आपको आधार नंबर देना होगा। सरकार का कहना है कि इससे फर्जी दवाओं पर रोक लगाई जाएगी। इधर एक बिन्दु यह भी है कि इससे एक आॅनलाइन रिकॉर्ड तैयार होगा कि आपने अपने जीवन में किस तरह की और कितनी दवाएं खरीदी हैं।
सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्रालय में ऑनलाइन मेडिसिन पॉलिसी को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में यह तय किया गया है कि सरकार नकली दवाओं, बिना फार्मासिस्ट के चल रही केमिस्ट दुकानों और दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए आधार को हथियार बनाएगी। मगर इस प्रस्ताव पर फार्मासिस्ट एसोसिएशन और केमिस्ट शॉप एसोसिएशन बंटा हुआ नजर आ रहा है।
दरअसल सरकार दवाओं के निर्माण या आयात से लेकर मरीज तक पहुंचने के दौरान हर चैनल मसलन कंपनी, सी एंड एफ एजेंट, डिस्ट्रिब्यूटर, रिटेलर से मरीज तक पहुंचने तक का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करना चाहती है। जिससे यह पता चल सकेगा कि किस बैच नंबर की दवा किस चैनल के जरिए किस व्यक्ति तक पहुंची।
इस तरह दवा बेचने वाली ई-कॉमर्स वेबसाइट कंपनियों से लेकर देशभर में मौजूद 8.5 लाख से ज्यादा दवा की दुकानें भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होंगी। इसके अलावा हर केमिस्ट को मरीज को दवा देते वक्त उसका आधार नंबर और डॉक्टर का एमसीआई रजिस्ट्रेशन नंबर भी ऑनलाइन मेंटेन करना होगा। इसका एक फायदा यह भी होगा की झोलाछाप डॉक्टरों पर भी लगाम लगेगी।