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MP में कुपोषण के साथ बौनी होती नई पीढ़ी, 23 हजार बच्चों की औसत ऊंचाई कम (Tue, Nov 21st 2017 / 14:15:24)
सीधी। जिले में कुपोषण के गंभीर परिणाम सामने आने लगे हैं। नई पीढ़ी कुपोषण के साथ बौनी होती जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज एक लाख 37 हजार 437 में से करीब 23 हजार 246 बच्चों की औसत उंचाई कम मिली है। लगभग इतने ही बच्चे कुपोषण की चपेट में है। खास बात ये कि कम उंचाई वाले ज्यादातर बच्चे कुपोषित हैं।
हालांकि, विभागीय अधिकारी सामान्य बच्चों में भी औसत उंचाई कम होने की बात कह रहे हैं। लेकिन यह भी माना कि कुपोषण का असर बच्चों शारीरिक व मानसिक विकास पर पड़ता है।
कुपोषण के कारण न तो सही ढंग से शारीरिक विकास हो पाता न ही मानसिक विकास। महिला बाल विकास अधिकारी ने खान-पान में पोषक तत्तों की कमी व गंदगी को कुपोषण की मुख्य वजह बताई है। क्रिमनाशक दवा पर जोर दिया है।
परियोजनावार बच्चों की स्थिति
सीधी-1: 4,228
सीधी-2: 2,639
कुसमी 3,422
मझौली 4,160
सिहावल 4,036
रामपुर नैकिन-1: 2,492
रामपुर नैकिन-2: 2,249
नोट:-आंकड़े महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज 0 से पांच वर्ष तक के बच्चों का है।
लंबे समय से कुपोषित बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता है, खासकर, लंबाई व वजन में प्रभावित होती है। छह माह तक के बच्चों में मां का दूध न मिलना, 1 वर्ष तक के बच्चों में दूध के साथ ठोस आहार की कमी के अलावा कम उम्र में विवाह व समय पूर्व
प्रसव कुपोषण की वजह है। चिकित्सकीय भाषा में इसे स्टंटिंग प्रॉब्लम कहा जाता है।
डॉ. आरएम त्रिपाठी, शिशु रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल सीधी
बच्चों के कुपोषित होने, लंबाई प्रभावित होने का मुख्य कारण स्वच्छता को लेकर लापरवाही है। गंदगी के कारण बीमारियां ज्यादा जल्दी प्रकोप में लेती हैं। चाहे वह गर्भवती महिलाओं को हो, उनके गर्भ में ठहरने वाले बच्चों या फिर ० से पांच वर्ष तक के बच्चों को। जीरो से 5 वर्ष तक के बच्चों को क्रिमिनाशक दवा का सेवन कराना अति आवश्यक है।
अवधेश सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग
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