जबलपुर/भोपाल. मप्र हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा कि प्रदेश में सिविल जज और हायर ज्यूडिशियल सर्विस की परीक्षाओं में शारीरिक नि:शक्तों के साथ-साथ दृष्टिबाधित और अल्प दृष्टि वालों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि शासकीय विभागों में नि:शक्तों के लिए 6 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की जाए, जिसमें दृष्टिबाधितों को भी शामिल करें। जो कि अभी तक सिर्फ 2 फीसदी है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के उस फैसले को गलत ठहराया, जिसमें एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार को सिविल जज की परीक्षा में लेखक प्रदान करने और आरक्षण का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था।
समस्या हमारी सोच में है : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नि:शक्त व्यक्ति को सहानुभूति की नहीं बल्कि संविधान के तहत समानता की दृष्टि से देखने की जरूरत है। समस्या हमारी सोच की है कि दृष्टिबाधित या अल्प दृष्टि वाला उम्मीदवार लिखने, पढ़ने का काम करने में अक्षम है और वह एक जज के कर्तव्यों को ठीक ढंग से नहीं निभा पाएगा। ऐसे व्यक्ति भले ही अपनी आंखों से अपने आस-पास घटित होने वाली घटनाओं को नहीं देख पाते, लेकिन उसके दूसरे अंग उसकी यह कमी पूरी कर देते हैं।
जबलपुर की रश्मि ने लगाई थी याचिका
जबलपुर की रहने वाली रश्मि ठाकुर 75 फीसदी दृष्टिबाधित है। उन्होंने 2013 में एलएलबी की और 2017 में हाईकोर्ट द्वारा आयोजित सिविल जज की परीक्षा दी। इसमें शारीरिक रूप से नि:शक्तों को 2 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन दृष्टिबाधितों के लिए नहीं। रश्मि सामान्य श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाई। उन्होंने 2 अगस्त 2017 को हाईकोर्ट प्रशासन को लेखक उपलब्ध कराने और आरक्षण का लाभ देने आवेदन दिया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद रश्मि ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
किसी भी अपेक्स सहकारी संस्था में हो सकेगी अनुकंपा नियुक्ति, आदेश जारी
किसी सहकारी संस्था में अनुकंपा नियुक्ति के लिए पद रिक्त न होने की दशा में अब अन्य अपेक्स सहकारी संस्था में अनुकंपा नियुक्ति दे दी जाएगी। सहकारिता विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। अभी तक एक अपेक्स सहकारी संस्था में कार्यरत व्यक्ति की मृत्यु पर उसके परिजन को किसी दूसरी संस्था में नियुक्ति नहीं मिलती थी। जब पद रिक्त होता था, तब उसी संस्था में नियुक्ति मिलती थी। लिहाजा कई मामलों में आश्रितों ने सरकार से नगद राशि लेकर उम्मीद छोड़ दी थी। प्रमुख सचिव केसी गुप्ता के अनुसार अब आवेदक को जिस संस्था में अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही, उस संस्था में उस पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और अर्हता की पूर्ति किया जाना अनिवार्य होगा।