ग्वालियर,
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केस में लिए जाने वाले वकील के एडजस्टमेंट (समायोजन, छुट्टी) की व्यवस्था में बदलाव किया है। अब वकील को छुट्टी पर जाने से पहले विरोधी वकील की सहमति लेना भी जरूरी हो गया है। अगर बिना सहमति के वकील छुट्टी पर जाता है तो विरोधी वकील केस में बहस कर सकता है और उसकी बहस के आधार पर हाईकोर्ट फैसला भी सुना सकता है। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस व्यवस्था का विरोध किया है और मुख्य न्यायाधीश को अभ्यावेदन भेजकर पूर्व की व्यवस्था लागू करने की मांग की है।
अगर किसी अधिवक्ता को शहर से बाहर जाना है या फिर कोई कार्यक्रम है तो वह हाईकोर्ट में एडजस्टमेंट आवेदन पेश करता था। इस आवेदन के आने के बाद जितने दिन वकील कोर्ट नहीं आता है, उतने दिनों तक केस को सुनवाई के लिए नहीं लगाया जाता है। औसतन एक दिन में करीब 50 वकील रोजाना एडजस्टमेंट पर रहते हैं। एडजस्टमेंट के दौरान यदि केस सुनवाई पर आ जाता था तो कोर्ट में बहस नहीं होती थी और तारीख बढ़ जाती थी।
लेकिन एडजस्टमेंट को लेकर तथ्य सामने आया कि वकील केस की तारीख बढ़वाने के लिए एडजस्टमेंट लगा रहे हैं। इसके चलते हाईकोर्ट ने व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। अब वकील जितने दिन एडजस्टमेंट पर रहेगा, उस बीच में सुनवाई पर आने वाले केसों में विरोधी वकील की सहमति लेनी होगी। उसके बाद ही एडजस्टमेंट स्वीकार किया जाएगा। बिना सहमति के एडजस्टमेंट लगाया जाता है तो वह स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही विरोधी वकील केस में बहस कर सकता है। विरोधी वकील की बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट फैसला भी सुना सकता है।
हाईकोर्ट ने जोड़ा है नया नियम -
उच्च न्यायालय की नियमावली 2008 में अध्याय 12 के नियम में 18 में नया नियम जोड़ा है। इसमें प्रावधान किया है कि विपक्षी वकील की सहमति के बाद एडजस्टमेंट को स्वीकार किया जाएगा।
- नए नियम से एक पक्ष को नुकसान होनी की संभावना है, क्योंकि बिना सहमति के कोई छुट्टी चला जाता है और विरोधी वकील उस दिन बहस कर देता है तो याचिका में फैसला उसके पक्ष में आ सकता है।
- एडजस्टमेंट से हाईकोर्ट में काफी केस प्रभावित होते हैं। क्योंकि कंप्यूटर पूर्व से संभावित तारीख निर्धारित कर देता है, लेकिन एडजस्टमेंट के चलते रुटीन बिगड़ जाता है।
बार ने कहा- वकील कोई कर्मचारी नहीं है, उसे छुट्टी लेनी पड़ेगी
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एडजस्टमेंट की नई व्यवस्था का विरोध किया है। बार ने चेतवानी दी है कि यह व्यवहारिक नहीं है। क्योंकि वकील कोई कर्मचारी नहीं है, जिससे किसी से पूछकर छुट्टी लेनी होगी।
- अगर किसी वकील के ऊपर अचानक कोई विपदा आ जाती है तो ऐसी स्थिति में सभी वकीलों से सहमित लेना संभव नहीं है।
- वकीलों में नए नियमों को लेकर भारी रोष है।
इनका कहना है -
हाईकोर्ट एडजस्टमेंट की नई व्यवस्था को वापस नहीं लेता है तो आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। क्योंकि यह किसी भी तरह से व्यवहारिक नहीं है। अधिवक्ता को एक दिन पहले पता चलता है कि उसका केस लगा है। ऐसी स्थिति में विरोधी वकील से सहमति लेना संभव नहीं है। अनिल मिश्रा, अध्यक्ष हाईकोर्ट बार एसोसिएशन