नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन अहम फैसले दिए। पहला अाधार की अनिवार्यता पर था। शीर्ष अदालत ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। कहा- Сसरकारी योजनाओं के लाभ के लिए यह अनिवार्य रहेगा। हालांकि, स्कूलों में एडमिशन और बैंक खाता खोलने के लिए यह जरूरी नहीं है।Т दूसरा फैसला सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने पर था। इस पर कोर्ट ने अपना 2006 का फैसला बरकरार रखते हुए कहा कि राज्यों को प्रमोशन में आरक्षण के लिए आंकड़ा जुटाने की जरूरत नहीं है। तीसरे फैसले में अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को मंजूरी दी गई। कोर्ट का कहना था कि इससे पारदर्शिता आएगी।
आधार कहां जरूरी, कहां नहीं; इस पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
डेटा की हिफाजत के लिए कानून बनाए सरकार : जस्टिस सीकरी और सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि बेस्ट होने से बेहतर है कि आप यूनिक रहें। आधार हाशिए पर मौजूद समाज के तबके को सशक्त करने और उन्हें पहचान देने का काम करता है। आधार दूसरे आईडी प्रूफ की तुलना में अलग है, क्योंकि इसका डुप्लीकेट नहीं बनाया जा सकता। एक व्यक्ति को आवंटित हुआ आधार नंबर किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। केंद्र को डेटा की हिफाजत के लिए जल्द से जल्द कानून बनाने की जरूरत है। सरकार यह सुनिश्चित करे कि देश में किसी भी अवैध प्रवासी को आधार कार्ड आवंटित न हो।
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प्रमोशन में आरक्षण पर पुराना फैसला बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर 2006 में दिए अपने फैसले पर दोबारा विचार करने से इनकार कर दिया। यह फैसला एम नागराज के मामले में दिया गया था। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकारें कुछ शर्तों के साथ प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें संबंधित समुदाय के पिछड़ होने के आंकड़े देने होंगे। केंद्र का कहना था कि इसमें शर्तें बेवजह लगाई गई हैं। ऐसे में इसे बड़ी बेंच के पास दोबारा विचार के लिए भेजा जाना चाहिए।
प्रमोशन में आरक्षण के लिए आंकड़ा जुटाने की जरूरत नहीं : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि एससी-एसटी कर्मचारियों को तरक्की में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारों को एससी-एसटी के पिछड़ेपन की संख्या बताने वाला आंकड़ा इकट्ठा करने की कोई जरूरत नहीं है।
लाइव स्ट्रीमिंग को मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग को भी मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से ही हो। इसके लिए नियम बनाएं जाएं। अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग से न्यायिक व्यवस्था में जवाबदेही आएगी।
इन्फेक्शन दूर करने के लिए सूरज की किरणें बेस्ट होती हैं। इसी तरह लाइव स्ट्रीमिंग से न्यायिक कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी। जनता को जानने का अधिकार मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट