राम मिलन यादव का रिपोर्ट
नहीं रहे हजारों घरों का चूल्हा जलाने वाले संजय राय
हृदयगति रूकने से हुआ निधन, सगड़ी इलाके में शोक की लहर
खुलेहाथ हर किसी की करते थे मदद, गम से नहीं उबर रहे लोग
आजमगढ़। हजारों घरों का चूल्हा जलाने वाले जनपद के सगड़ी तहसील क्षेत्र के बांसगांव निवासी स्व0 राजेन्द्र राय के बड़े पुत्र संजय कुमार राय की मौत राजस्थान प्रदेश के हनुमानगढ़ स्थित कृष्णा कंट्रक्शन कंपनी स्थित आवास में ही हृदयगति रूकने से हो गई थी। इसकी जानकारी घटना के दूसरे दिन उस वक्त हुई जब वह देर सुबह तक सोकर नहीं उठे। ऐसी स्थिति में कम्पनी के डायरेक्टर ने उनके आवास पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया तो अन्दर से कोई आवाज नहीं आई। जब दरवाजा तोड़कर देखा गया तो वे बेसुघ पड़े थे। इसके बाद कम्पनी के कर्मचारी उन्हे इलाज हेतु अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया। उनके मौत की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंची तो क्षेत्रवासियों में शोक की लहर दौड़ गई। इलाके में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक जगह-जगह उनकी ही बातें हो रही हैं और लोग उनके दुनियां छोड़कर चले जाने के गम से उबर नहीं पा रहे हैं।
बता दें कि एक कम्पनी में अपनी सेवाएं देते हुए समाज के जरूरतमंदों के लिए पूरी तरह से समर्पित संजय राय की प्रारंभिक शिक्षा रामगढ़ के प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने हाई स्कूल 1989 में हरैया स्थित जनता इंटर कालेज बाजार गोसाई व इंटरमीडिएट 1991 में मऊ जनपद के बापू इंटर कॉलेज कोपागंज से किया। कुशाग्र बुद्धि के संजय राय ने महाराष्ट्र प्रदेश के रायगंज मुंबई के कोंकण एजुकेशन सोसाइटी से इंजीनियरिंग किया तथा कृष्णा कंट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड में टेक्निकल डायरेक्टर और बाद में अपनी कर्मठता के बूते पर सीईओ के पद पर कार्य करने लगे। कम्पनी में अपनी सेवाओं के दौरान जिले के जिस भी युवक ने उनसे नौकरी मांगा, उसे नौकरी देने के साथ ही अपने इलाके के उन लोगों को बिना मांगे नौकरी पर रख लिया, जिसको उन्होंने समझा कि उसे नौकरी की जरूरत है। यही वजह है कि यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके इलाके के हजारों घरों के चूल्हे आज भी उन्हीं की वजह से जल रहे हैं। लोग उनके इस सहृदयता की चर्चा भी कर रहे हैं और उनके निधन के बाद से अब तक सगड़ी क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है। उनके घर पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालो का तांता लगा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि संजय राय में उनके पिता की छवि दिखती थी। अपने पिता की तरह उनका भी व्यक्तित्व ऐसा था कि दूसरे के दुख दर्द को अपना समझकर हर सम्भव मदद करते थे।
इनबाक्स
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हजारों लागों को दे चुके थे रोजगार
आजमगढ़। एक पुरानी कहावत है कि इंसान चला जाता है लेकिन उसकी करनी हमेशा याद रखी जाती है। जैसा कि संजय राय के द्वारा किये गये कार्य खुद ब खुद बयां कर रहे हैं। जब वो छुट्टी पर कभी गांव आते थे तो लोगों से गांव व इलाके के बेरोजगार युवको की जानकारी कर उन्हे रोजगार से जोड़ने का हर सम्भव प्रयास करते थे। अपनी नेकनीयती के चलते उन्हांेने हजारों युवकों को रोजगार दिलाकर उनके घर की माली स्थिति को मजबूत करने का काम किया। इसके साथ ही लोगों की उनके जरूरत के अनुसार आर्थिक मदद भी करते थे, चाहे दवा-इलाज का मामला हो या गरीब के बेटी की शादी या अन्य जरूरत हो, वह सभी लोगों की हर जरूरत को पूरा करने की हमेशा हरसंभव कोशिश किया करते थे।
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- अभिषेक मिश्रा (सदाशिव मिश्रा ) , प्रधान सम्पादक , मो. 7317718183
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