
रूद्रेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट
*बलिया में एक चमत्कारी स्थान,जहां लोगों का मानना है,कि प्रेत बाधा से मिलती है मुक्ति*
सिकंदरपुर,बलिया।
बलिया जनपद से तक़रीबन 35 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित मनियर नगर पंचायत है,जिनका पौराणिक इतिहास रहा है।यह स्थान भगवान परशुराम सहित अन्य ऋषि मुनियों की तपोस्थली रही है।घना जंगल होने के कारण मणिधर सर्प रहा करते थे।जिसके कारण इसका नाम मणिवर एवं मुनि के नाम पर इस नगर का नाम मुनिवर था।मुनिवर के अपभ्रंश के रूप में मनियर है।मनियर में भगवान परशुराम का प्राचीन मंदिर भी है। वहीं मनियर नगर पंचायत के पूर्वी छोर पर एक ब्रह्म का स्थान है जिन्हें नवका ब्रह्म के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भी करीब *250* वर्ष से *300* वर्ष पुराना है।नवका ब्रह्म की अद्भुत कहानी है।जनश्रुति के अनुसार नवका ब्रह्म का जन्म बिहार प्रांत के सीवान जनपद अंतर्गत चैनपुर गांव में शिव शरण चौबे एवं रामशरण चौबे के रूप में हुआ था।दोनों लोग जुड़वा भाई थे। बाल्यकाल में एक डायन द्वारा भोजन पर आमंत्रित कर दोनों भाइयों को मारण मंत्र से मार कर उनकी आत्मा को एक डिबिया में बंद कर दिया गया उसी डायन की पुत्री की शादी मनियर में तय हुई थी।उस डिबिया को डायन ने पुत्री को दिया कि सरजू नदी में जल प्रवाह कर देना लेकिन उनकी पुत्री नव वधु के रूप में थी।उस डिबिया को नदी में जल प्रवाहित करने में सफल नहीं रही क्योंकि नाव में बैठकर वह नदी पार मनियर आ रही थी,उसी नाव में बाराती खचाखच भरे हुए थे।और उस डिबिया को लाकर गेहूं पीसने वाली जात(चक्की )के नीचे गाड़ दी।काफी समय बीत जाने के बाद जब नव बधू बुढ़िया हो चली थी।आटा चक्की टांकते समय दोनों आत्माएं आजाद हो गई। तबाही और विनाश लेकर दोनों आत्माएं मौजूद हुई।ब्रह्म लुक लगने से उस बुढ़िया का घर जलकर भस्म हो गया। आकाश से मांस के लोथड़े एवं खून की बारिश होने लगी।घोर भयंकर चित्कार गर्जना होने लगी।पूरा परिवार भयभीत एवं सशंकित रहने लगा।बाद में एक तांत्रिक दोनों आत्माओं को गुरुमुख किये जिसकी मांग दोनों आत्माओं ने किया था एवं दोनों आत्माओं को एक पिंड के रूप में स्थापित किया जहां दोनों ब्रह्म का पिण्ड एक में ही मौजूद है।तब से दोनों आत्माएं जो नवका ब्रह्म के रूप में विराजमान है।इसी दौरान बिहार प्रांत के एक जमींदार जो कुष्ठ रोग से ग्रसित थे।यहीं पर तालाब में स्नान किये और उनका कुष्ठ रोग ठीक होने लगा तो उन्होंने इस पिंड को मंदिर का रूप दिया और जन कल्याण का कार्य इन दोनों आत्माओं ने शुरू कर दिया।लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी और लोग यहां आने लगे जिसमें अधिक से अधिक लोग प्रेत बाधा से ग्रेसित आते हैं। साथ ही साथ सफेद दाग,नि:संतान दंपति, इत्यादि लोग आते हैं।बताया जाता है कि इस स्थान पर आने पर उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।यहाँ पर दोनों नवरात्रि में यहां भक्तों की अपार भीड़ लगती है। इस वैज्ञानिक युग में जहां इसे अंधविश्वास मानने वाले लोग हैं लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस स्थान पर पढ़े लिखे लोग सहित उच्च पदों पर असीन लोग भी चुपके चोरी आते हैं और अपनी मनौती की मांग करते हैं। ऐसा भी देखा गया है।
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- अभिषेक मिश्रा (सदाशिव मिश्रा ) , प्रधान सम्पादक , मो. 7317718183
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