*ब्यूरो चीफ*
*शुभम् कुमार बाराबंकी*
*राजकीय जिला पुस्तकालय, बाराबंकी में “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” के अवसर पर कार्यशाला आयोजित*
*कार्यशाला में वक्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न जानकारियां को साझा किया*
बाराबंकी । आज दिनांक 10.09.2025 को जिलाधिकारी, बाराबंकी श्री शशांक त्रिपाठी जी से प्राप्त निर्देश के क्रम में राजकीय जिला पुस्तकालय, बाराबंकी में “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में 242 पाठकों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला विद्यालय निरीक्षक श्री ओ०पी० त्रिपाठी द्वारा की गयी। कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से डॉ० विनोद कुमार एवं डॉ० शैलेन्द्र सिंह ने पाठकों को संबोधित किया। कार्यक्रम का आरम्भ पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ० पूनम सिंह, लाइब्रेरी को-ऑर्डिनेटर श्री नीरज शुक्ला, कम्प्यूटर ऑपरेटर सुश्री दीपिका द्वारा संयुक्त रूप से पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया। पुस्तकालयाध्यक्ष के सभी अतिथियों का स्वागत उद्बोधन के पश्चात “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” पर प्रकाश डालते हुए बताया, कि देश में 400 व्यक्ति प्रतिदिन स्वयं को हानि पहुँचाते हैं, जिसका प्रतिशत विश्व में सर्वाधिक है और इसका मुख्य कारण मानसिक स्वास्थ्य पर हमारा उचित ध्यान न देना है। हमारे देश में लोग मनोचिकित्सक से ‘लोग क्या कहेंगे’ सोचकर मदद लेने में संकोच करते हैं, जबकि शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी हमारे सम्पूर्ण विकास का एक अभिन्न हिस्सा है, अतः आवश्यकता पड़ने पर स्वयं की अथवा अपनों की मदद के लिए मनोचिकित्सक से परामर्श लेना, आत्महत्या की दर को कम करने में सहायक होगा।
डॉ० विनोद कुमार ने आत्महत्या या स्वयं को हानि पहुँचाने की प्रवृत्तियों, इंटरनेट की लत, चिंता, अवसाद, ए०डी०एच०डी० (ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई, अति सक्रियता, आवेग में कार्य करना). ओ०सी०डी० (बार-बार आवांछित विचार) एवं मानसिक तनाव के कारण एवं उस पर नियंत्रण एवं रोकथाम विषय पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति पर संबोधित करते हुए कहा, कि जैसे शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर हम चिकित्सक से परामर्श लेते हैं, दवाएं लेते हैं वैसे ही मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए भी हमें आवश्यकतानुसार निःसंकोच चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम करना स्वयं को सक्रिय रखना, समय सारणी के अनुसार कार्यों का संपादन करना, पौष्टिक भोजन लेना, अपनी रूचियों के लिए समय निकालना, सकारात्मक सोच रखना, हमें अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है, हमारे मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है और स्वयं को हानि पहुँचाने वाले विचारों से दूर रखता है। यदि कभी ऐसा लगे कि हमारे विचार, भावनाएं, व्यवहार, आस-पास की दुनिया को देखने का, हमारा नज़रिया बदल रहा है, तो मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन “टेलीमानस नंबर 14416” (24×7) परामर्श हेतु मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं की सुविधा प्रदान करता है। इनकी मदद लेकर, जो पूर्णतः निःशुल्क है और आपकी जानकारी गोपनीय रखी जाती है, से आप मदद प्राप्त कर सकते है।
डॉ० शैलेन्द्र सिंह ने पाठकों को संबोधित करते हुए कहा, कि यदि हमें बार-बार थकान या घबराहट महसूस होने पर लगातार उदासी या निराशा की भावनाएं जो दैनिक जीवन में रूकावट पैदा करने लगें, स्वयं या दूसरों को नुकसान पहुँचाने के विचार आने लगें, भूख या वजन में परिवर्तन हो, नींद ना आती हो, मांसपेशियों में तनाव और हृदय गति अचानक तेज़ होने लगे, नशे पर निर्भरता बढ़ने लगे, बार-बार पेशाब आए, तो सचेत होने की आवश्यकता है और मनोचिकित्सक से परामर्श लेना सही विकल्प है। इसके लिए स्कूल, कॉलेज में अपने शिक्षक से, आयुषमान आरोग्य मंदिर के हेल्थ ऑफिसर से अथवा ब्लॉक / जिला में सरकारी अस्पताल से काउंस्लर या मनोचिकित्सक से मदद ले सकते हैं।
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- अभिषेक मिश्रा (सदाशिव मिश्रा ) , प्रधान सम्पादक , मो. 7317718183
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