 
                “शांतचित्त एवं सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे चित्रकार राजीव मिश्र”
–	राजीव मिश्र के निधन पर कला जगत में शोक है। कला जगत में अपूर्णीय क्षति है।  
     लखनऊ, 27 मई 2025, वरिष्ठ चित्रकार राजीव मिश्रा के निधन की ख़बर से बहुत दुःख है। उनका निधन सोमवार को सांय पी जी आई लखनऊ में ही हो गया था लेकिन मंगलवार की सुबह जब ख़बर मिली तो विश्वास नहीं हो रहा था जिसके लिए इस ख़बर की पुष्टि उनकी बेटी स्तुति मिश्रा से बात करने पर हुई। जैसे ही यह ख़बर कला जगत से जुड़े लोगों तक पहुंची लोग स्तब्ध रह गए और अपने अपने भाव उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में देने लगे। मिश्रा के निधन से कला जगत में अपूर्णीय क्षति हुई है। मंगलवार को अंतिम संस्कार बैकुंठ धाम लखनऊ में किया गया। परिवार की तरफ से बताया गया कि राजीव मिश्र काफ़ी समय से अस्वस्थ थे। उन्होने अपने जीवन के 64 वर्ष पूरे किए थे, जिसमें 40 वर्ष निरंतर चित्रकला में तल्लीन रहे। पिछले तीन माह से वो 15 फीट लंबी तस्वीर पर काम भी का रहे थे।
    कलाकार भूपेन्द्र अस्थाना ने बताया कि राजीव मिश्रा से मेरी मुलाकात मेरे कला महाविद्यालय में छात्र समय से रही। अक्सर बातचीत होती रहती थी। लेकिन 2014 में कला स्रोत कला वीथिका के स्थापना के बाद उनके और नजदीकि बढ़ी। उनके व्यक्तित्व और कृतियों से नज़दीक से परिचित होने का मौका मिला। चूंकि वाश पद्धति में भी उन्होंने कार्य किया तो कला स्रोत में एक बड़ी कार्यशाला उनकी मार्गदर्शन में कराया। बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने उनसे वाश पद्धति को बड़ी बारीकी से जाना समझा और कार्य किया। 2015 में राजस्थान राज्य के जयपुर में जयपुर आर्ट समिट में भी गैलरी की तरफ से मिश्रा जी का एक वाश पद्धति में कार्यशाला आयोजित किया गया। वॉश विधा के सुप्रसिद्ध कलाकार राजीव मिश्र ने अपनी कला शिक्षा कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से पूर्ण की। आप शैक्षिक दूरदर्शन, उत्तर प्रदेश, लखनऊ से सेवानिवृत्त हुए! महान चित्रकार कला गुरु बद्रीनाथ आर्य के प्रमुख शिष्यों में से एक रहे । आपने वॉश विधा को लखनऊ में निरन्तरता प्रदान करते हुए नई पीढ़ी में भी इस विधा को संचरित करने हेतु प्रोत्साहित किया। हालांकि मिश्रा ने वाश पद्धति के अलावा भी तैल, एक्रेलिक, पेन इंक में भी बहुत कार्य किए। राजीव मिश्रा के निधन पर कला जगत में और कलाकारों में शोक है।
     मूर्तिकार पाण्डेय राजीवनयन ने कहा कि कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ से शिक्षा प्राप्त कलाकार एवं लखनऊ शैली  के विशिष्ट बॉस चित्रों के लिए राजीव मिश्र जाने जाते हैं। वे प्रोफेसर बद्री नाथ आर्य के प्रमुख शिष्यों में एक थे। शांतचित्त एवं सौम्य  व्यक्तित्व के धनी राजीव जी अपनी निरंतर कलाकर्म एवं लखनऊ वाश चित्रों की परंपरा के प्रमुख कलाकार थे। यद्यपि इन्होंने वाश तकनीक से इतर भी अनेकों  चित्रों की रचना की है फिर भी लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश उन्हें लखनऊ की पारंपरिक वाश चित्रों के चित्रकार के रूप में विशेष रूप से जानता है। उनका इस प्रकार असमय हमारे बीच नहीं होना एक बड़ी रिक्ति है। कलाजगत हमेशा इस रिक्ति को महसूस करेगा। ऐसे विनम्र एवं आजीवन कला के प्रति समर्पित कलाकार को विनम्र श्रद्धांजलि।
    कला समीक्षक शहंशाह हुसैन ने कहा कि स्वर्गीय राजीव मिश्र एक ऐसे कलाकार थे जिनके स्वभाव, बोल चाल में अवध के लबों लहजे की झलक मिलती थी। स्वभाव से सभ्य और शालीन, मृदुभाषी और मिलनसार। वे स्वर्गीय बद्रीनाथ आर्य जी के शिष्य थे और उनकी झलक श्री मिश्र के सृजन में झलकती थी। वाश के अतिरिक्त पोट्रेट पेंटिंग में भी उन्हें महारत हासिल थी। उनका जाना हम सब के लिए दुखद है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें और उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। नमन्।
कलाकार व कला इतिहासकार अखिलेश निगम ने कहा कि राजीव मिश्र का यूं अचानक चले जाना खासकर उत्तर प्रदेश के लिए अधिक दुखदाई हुआ। क्योंकि राजीव प्रदेश के उन चंद कलाकारों में थे जो यहां की वाश पद्धति को जीवित रखने में प्रयासरत रहे हैं। यहां ‘यहां’ से मेरा तात्पर्य प्रदेश की उस ‘वाश पद्धति’ से है जिसकी नींव प्रख्यात वाश शैली चित्रकार बद्री नाथ आर्य जी ने डाली थी। राजीव विनम्र और मृदुभाषी व्यक्तित्व वाले जुझारू कलाकार थे। संयोग से अपने प्रशिक्षण काल से ही वे मेरे संपर्क में रहे हैं। इसलिए उनकी कला-यात्रा को मैंने नजदीक से देखा है। वे किसी भी विधा में काम करने से हिचकिचाते नहीं थे। यह अलग बात है कि उनकी पहचान एक ‘वाश शैली  कलाकार’ के रुप में हुई । सेवानिवृत्त के बाद वे कुछ अलग हटकर रचना चाह रहे थे। इसी क्रम में वे एक बड़ी पेंटिंग पर कार्यरत थे, जो उनकी कला-यात्रा की अंतिम कृति बनकर रह गयी।
     कानपुर से कलाकार अभय द्विवेदी ने कहा कि प्रिय राजीव मिश्रा एक सच्चे अर्थों में कल साधक ,कला निपुण,कला के प्रति पूर्णतया समर्पित कलाकार थे। छात्र जीवन से मैने देखा कि सरल हृदय,मृदुभाषी,सबकी सहायता करने  को तत्पर रहना,प्रारंभ से जल रंग की वाश तकनीक में रचना कार्य करते रहे।उनका ऐसा। एक निधन कला जगत की अपूर्णीय क्षति है। अभी उनको बहुत कार्य करना था। वाश शैली के एक पुरोधा रहे। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को सद्गति एवं चिरशांति प्रदान करें।परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनाएं प्रस्तुत करता हूं जो बज्राघात परिवार पर हुआ है।
    लेखक,कवि कौशल किशोर ने बताया कि राजीव मिश्रा जी की उम्र 64 वर्ष की थी। वे 40 वर्ष निरंतर चित्रकला में तल्लीन रहे। पिछले तीन माह से वो 15 फीट लंबी तस्वीर पर काम कर रहे थे। हालांकि मिश्रा जी ने कई विधाओं और माध्यमों में काम किया जिसमें से वाश शैली भी शामिल है। इस विधा में इनकी पहचान बनी। उनकी ख्याति रही। उन्होंने मुद्राराक्षस का आदमकद चित्र बनाया था। उसे मुद्रा जी के 82 वें जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम ‘मुद्राजी अपनों के बीच ‘ में मुद्रा जी को भेंट किया गया। यह आयोजन राय उमानाथ बली स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में 21 जून 2015 को हुआ था। राजीव मिश्र जी का इप्टा से लंबा जुड़ाव था। लखनऊ की कला और साहित्य की दुनिया में उनकी सक्रियता थी। जीवन के अन्तिम दिनों तक जब तक शरीर ने उनका साथ दिया कला के लिए अपने को समर्पित कर दिया था। अपने प्रिय कलाकार को जन संस्कृति मंच अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।
    नई दिल्ली से कला समीक्षक सुमन सिंह ने बताया कि राजीव मिश्र से कभी ठीक से मुलाकात हुई हो ऐसा याद नहीं आता। किंतु उनके नाम और काम से वाकिफ था। चित्रकला में लगभग अप्रचलित मान ली गई वाश शैली के प्रति वे पूर्णतः समर्पित थे एवं नई पीढ़ी के छात्रों को इससे परिचित कराने में तत्परता से जुटे रहते थे। मेरी समझ से यह इस राज्य और देश का दुर्भाग्य है कि हम अपनी परंपरा और धरोहर दोनों के प्रति उदासीन हैं। जहां तक मेरी जानकारी है लखनऊ में राजेंद्र प्रसाद और राजीव मिश्रा, ऐसे चित्रकार थे; जो अपने गुरु बद्रीनाथ आर्य जी की कला परंपरा को बरकरार रखे रहे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों, मित्रों और शिष्यों  के साथ हैं। उनकी विरासत अक्षुण्ण रहे यह कामना रहेगी।
   वाश पद्धति के चित्रकार राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि पढ़ाई के समय से ही बहुत जुझारू इंसान थे। वे मुझसे दो साल जूनियर थे मैं उन्हें अपना मित्र ही मानता था। हम दोनों गुरु भाई थे। पढ़ाई के समय ये छोटे छोटे काम भी कर लेते थे जैसे बैनर,होर्डिंग और थियेटर के पोस्टर आदि पेंट भी करते रहे। जब कभी पेंटिंग का काम लाते थे तो हम दोनों मिलकर किया करते थे। काम सीखने की ललक थी उनके अंदर। हम दोनों कई कार्यशालाओं में एक साथ कार्य किए। कुछ समय से वाश छोड़कर एक्रेलिक माध्यम में कार्य करने लगे थे। उनके निधन से मुझे बहुत छोभ है। अपने गुरु भाई के खोने का बहुत दुःख है।
     कलाकार मिली पाण्डेय ने बताया कि राजीव मिश्रा जी से मेरी मुलाकात सबसे पहले शताब्दी के पहले कुंभ में हुई । राजीव मिश्रा जी बहुत ही जिंदा दिल इंसान थे उन्होंने कभी यह महसूस नहीं कराया कि वह वरिष्ठ कलाकार की श्रेणी में आते है ।वे बहुत ही सहज और सरल व्यवहार के व्यक्ति थे उनसे मेरी कई बार कला पर चर्चा हुई ।वह जीवन को बहुत ही संजीदगी के साथ देखते थे उनका जीवन के प्रति जो दर्शन था वह उनके चित्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ।उनका इस प्रकार से असमय जाना कला जगत के लिए बहुत बड़ी क्षती है।
    नई दिल्ली से कला समीक्षक जय त्रिपाठी कहते हैं कि लखनऊ के वरिष्ठ चित्रकार राजीव मिश्रा नहीं रहे यह खबर स्तब्ध कर गई है। राजीव एक बहुत ही निश्चल व्यक्तित्व के धनी थे। वह वास टेक्निक में महारत हासिल करने वाले कलाकार थे, जो की संभवत देश में गिने-चुने कलाकारों में से एक रहे। वैसे तो लखनऊ आर्ट्स कॉलेज से राजीव ने कला की शिक्षा ली किंतु मेरी उनसे मुलाकात उन दिनों हुई जब वह कानपुर के डीएवी डिग्री कॉलेज से एम ए ड्राइंग एंड पेंटिंग में करने के लिए आए थे। और मैं भी उनके साथ ही ड्राइंग एंड पेंटिंग में कार्य कर रहा था । मैंने देखा कि वह व्यक्ति जो की वाश तकनीक में महारत हासिल कर चुके थे, वह अपने गुरुओं का बहुत सम्मान करता थे, इसके साथ ही छात्र जीवन से जुड़े उनके सभी कलाकार मित्र भी परिचित थे कि वह जहां गुरुओं के सम्मान करते थे वही अपने साथियों का भी प्यार पाए। विगत कुछ वर्षों से उनसे मेरी बातचीत कई दफा हुई। पिछले दिनों उनकी एक चित्र प्रदर्शनी दिल्ली के ललित कला अकादमी कला दीर्घा में हुई थी जिसके लिए उन्होंने मुझे विशेष तौर पर आमंत्रित किया था और कहा कि मैं यहां वास तकनीक के चित्र नहीं, यहां पर अपने नए चित्रों की एकल प्रदर्शनी को प्रदर्शित करने आया हूं ।अतः अपने इस पर विचार जरूर रखना और मैं भी उनके साथी होने के नाते वह उनको एक विशेष कलाकार का दर्जा देने के रूप में कुछ शब्द राष्ट्रीय सहारा दैनिक में लिखने की कोशिश की। वह बहुत भाव विभाव के रूप में मुझे लगता है। संभवत वह उनकी अंतिम समय की प्रदर्शनी रही जिसमें देश भर के अधिकतर कलाकारों कला प्रेमियों लेखकों पत्रकारों का जमावड़ा रहा । वह एक ऐसे वास तकनीक के कलाकार थे जिनकी पूर्ति संभव नहीं है ।
   कलाकार राजीव कुमार रावत कहते हैं कि एक कलाकार और एक अच्छे इंसान थे। मिश्र जी  उनकी कला समाज के लिए समर्पित थी वाश और टेम्परा में  कला कर्म आने वाली पीढ़ियों को दिशा देती रहेगी उन्होंने कला को जिया है इनके जाने से हम सब ने एक कला साधक खो दिया उनको मेरी तरफ से नमन और सच्ची श्रद्धांजलि ।
– भूपेंद्र कुमार अस्थाना
Author Profile

- अभिषेक मिश्रा (सदाशिव मिश्रा ) , प्रधान सम्पादक , मो. 7317718183
Latest entries
 समाचारOctober 30, 2025आजमगढ़ राहुल गांधी छठ पूजा और प्रधानमंत्री पर बोल रहे हैं वह कही न कही उनके हताशा एवं कुंठा को दर्शाता है-भूपेन्द्र चौधरी* समाचारOctober 30, 2025आजमगढ़ राहुल गांधी छठ पूजा और प्रधानमंत्री पर बोल रहे हैं वह कही न कही उनके हताशा एवं कुंठा को दर्शाता है-भूपेन्द्र चौधरी*
 समाचारOctober 30, 2025जीवन जीने की राह दिखाती है श्रीमद्भागवत कथा …..आचार्य  जयप्रकाश अवस्थी जी समाचारOctober 30, 2025जीवन जीने की राह दिखाती है श्रीमद्भागवत कथा …..आचार्य  जयप्रकाश अवस्थी जी
 समाचारOctober 27, 2025महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने डूबते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य* समाचारOctober 27, 2025महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने डूबते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य*
 समाचारOctober 27, 2025लोकजन सोशलिस्ट पार्टी (LSP)  के सुप्रीमो डॉ विरेन्द्र विश्वकर्मा का हुआ बाराबंकी आगमन*, समाचारOctober 27, 2025लोकजन सोशलिस्ट पार्टी (LSP)  के सुप्रीमो डॉ विरेन्द्र विश्वकर्मा का हुआ बाराबंकी आगमन*,

 
                                                         
                                                         
                                                        