
शिवकुमार की रिपोर्ट
महान कलाकार की वजह से भोजपुरी भाषा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. भिखारी ठाकुर की 137वीं जयंती:
18 दिसंबर 1887
को शाहाबाद प्रेसीडेंसी अर्थात सारण जिले के दियारा इलाका स्थित कुतुबपुर गांव में जन्मे भिखारी ठाकुर संघर्ष की उपज थे.
भिखारी ठाकुर हासिए पर खड़े लोगों की आवाज थे। भिखारी ठाकुर इनका जन्म 1887 ई को छपरा बिहार में हुआ था। वह पहले नाई का काम करते थे। वे रोजी-रोटी है तलाश में खड़कपुर गए। वहां उन्होंने रामलीला मंचन देकर घर लौटे तो कला का प्रतिउनकी रुचि जगी और स्वयं रामलीला मंजन करने लगे। 1917 में अपनी नाच मंडली का गठन किया। लोक नृत्य के माध्यम से वे समाज में व्याप्त कुरितयों पर भी वार किया करते थे। विदेशिया, बेटी- बेचवा उनकी उल्लेखनीय रचना है।अखिल भारतीय नाई महासभा के द्वारा बुधवार को नगरा के प्राचीन दुर्गा मंदिर पर ब्लॉक के स्वजातीय बन्धुओ ने भोजपुरी के जनक एवम् भोजपुरी के शेक्सपियर दादा भीखारी ठाकुर जी की 137वीं जयंती मनाई गई। इस जयंती समारोह में लल्लन ठाकुर जी (पूर्व जिलाध्यक्ष) दिनेश ठाकुर जी (पूर्व एडिटर) अजित ठाकुर (पूर्व सूचना मंत्री) लालबहदुर ठाकुर, उत्तम ठाकुर (पूर्व संगठन मंत्री) जयशंकर ठाकुर ,युवा गायक राहुल ठाकुर ‘विक्की’ सहित नगरा ब्लॉक के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष रामू ठाकुर मौजूद रहे।
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- अभिषेक मिश्रा (सदाशिव मिश्रा ) , प्रधान सम्पादक , मो. 7317718183
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